Total Pageviews

Monday 28 November 2016

इंसान


आजकल मेरे मन को यह सवाल तंग कर रहा है
कि इंसान हर जगह है, लेकिन इंसानियत कहाँ है
इंसान को दूसरों की कमियों का ध्यान रहता है
लेकिन अपनी ही कमियों से वह अनजान रहता है


यह आदमी पूरी दुनिया को स्नेह के उपदेश सुनाता है
फिर वही आदमी समाज में नफरत के पौधे उगाता है
वह पहले ईश्वर के सामने हर रोज अपना सर झुकाता है
फिर उसके नाम पर उसके बच्चों को हानि पहुँचाता है

वह कहता है सबको कि वह सच्चाई का साथ देता है
लेकिन पीठ पीछे वह बुराई में भी अपना हाथ देता है
जो आदमी सबको सीना तानकर अपना ईमान दिखाता है
वही आदमी स्वार्थ के लिए अपना ईमान भी बिकवाता है

यह आदमी एक तरफ तो अपनों के साथ गले मिलता है
पर दूसरी ही ओर वह उनकी खुशियों से जलता है
जिन माँ-बाप से उसे दुनिया का हर सुख मिल जाता है
बड़ा होने के बाद वह उनके उपकारों को भूल जाता है

वह मुश्किल के समय में सबका साथ देने का दिलासा देता है  
लेकिन मुश्किलों के वक्त में असलियत का खुलासा होता है
जिन लोगों के लिए चापलूस आदमी मीठे शब्द निकालता है
उन्हीं के लिए मन ही मन ढेर सारी गालियाँ भी उगलता है 

यह खुदगर्ज़ आदमी केवल अपने बारे में ही सोचता है
और अपने भाई-बंधुओं की मुश्किलें अनदेखा करता है
हर आदमी अपने लिए ढेर सारी धन-दौलत चाहता है
लेकिन कड़ी मेहनत करने से हर कोई हिचकिचाता है
                                                
यह आदमी इस बुरे समाज में बदलाव तो चाहता है
पर बदलाव का हिस्सा बनने से उसका जी कतराता है
कहने को तो इस इंसान की नजरें आसमान पर टिकी हुई हैं
लेकिन उसी इंसान के चरित्र से आजकल इंसानियत मिटी हुई है

Sunday 4 September 2016

श्री गुरुवे नमः

विद्यानिधि गुरुवर आपको शिरसा प्रणाम।
आपके सत्-दर्शन से मिल जाएँ श्रीराम्॥
आपका ज्ञान-सिंधु लगाए तमस पर विराम।
आपके देवाशीष से मिले शुभ परिणाम॥

आपकी विचक्षणता मेरा मन प्रबुद्ध करे।
आपकी प्रवीणता मेरी त्रुटियों को शुद्ध करे॥
आपका अनुभव श्रेष्ठ पथ प्रत्यक्ष करे।
आपका ज्ञान-प्रकाश सत्य-वाक् समक्ष करे॥

आपके उपदेश अज्ञान को पदक्रांत करे।
आपका मार्गदर्शन शंकाओं को शांत करे॥
आपका स्नेह मुझे सशक्त करे।
आपकी प्रसन्नता मुझे संतुष्ट करे॥

Wednesday 24 August 2016

विवेक सर

जिस पल से प्राप्त हुआ आपसे पढ़ने का अवसर,
तत्काल ही बन गयी हमारी सभी समस्याएं नश्वर।
आपने प्रदान किया हमें उचित मार्गदर्शन,
जिसने बढ़ाया हमारा ईको-बी.इस. के प्रति आकर्षन।
आपने हमें विवेक से प्रत्येक काम करना सिखाया,
आपने प्रतिकूल परिस्थिति को भी आनन्दमयी बनाया।
आपने हमें अध्ययन का उचित तरीक सिखाया,
जिससे हमारा लक्ष्य हमारे निकट आया।

कक्षा में चलाई विनोद की ठंडी हवा,
और सदैव सशक्त किया ज्ञान-गंगा का प्रवाह।
अपनी कक्षा में रखकर नैतिक मूल्यों को विद्यमान,
आपने हमें बनाया, एक मनुष्य चरित्रवान।
हमें है मात्र आपके आशीर्वाद की आकांक्षा,
ताकि संपन्न हो सके हमारी प्रत्येक महत्वाकांक्षा। 

Sunday 14 August 2016

15 अगस्त, 1947

पूरी दुनिया के सामने रात का अंधेरा था,
लेकिन हमारे लिए तो एक नया सवेरा था।
ग़ुलामी की बेड़ियाँ सदा के लिए टूट गई थी,
सोने की चिड़िया उनके चंगुल से छूट गई थी॥

मन रहा था घर-घर में आज़ादी का त्योहार,
ख़त्म हो गए थे अब ज़ालिम के अत्याचार।
लाल किले पर तिरंगा छू रहा था आसमान,
पा रहा था भारत पूरी दुनिया का सम्मान॥

सदियों तक रहा जिस देश में अंधकार,
आज उसको मिली रोशनी की बहार॥
खून से लिखी है यह तारीख इतिहास के पन्नों पर,
इंक़िलाब की तलवार से दुःखों ने छोड़ा हमारा घर।

उनके ख़िलाफ़ जंग में हमें मिली जीत इस पल,
हमें अब अंदर की समस्याओं का ढूँढ़ना है हल॥
पकड़ना है अब हमें प्रगति का विमान,
बनाना है हमें भारत देश को महान॥

॥जय हिन्द॥ 

Saturday 6 August 2016

मित्रता




मित्र-बंधन अतीव सुन्दर, जीवन में हर्ष भरे।
सखा हमारे हित हेतु, अथक अविरल संघर्ष करे॥
मित्र संगति आदि है, अशोष्य-आनंद-धारा का।
विनोद-रस चर्चा में भरे, वो स्रोत हास्य-फुव्वारा का॥

शीघ्र हृदय भाव को समझे और विपदा में बने सहारा।
वो कन्धा मिलाकर साथ चले और सुखद लगे जग सारा॥
दीपक-प्रकाश दीया को मिले, हिमनदी नदी जल-युक्त बनाये।
वो आत्म-विकास की प्रेरणा दे और मन को चिंता-विमुक्त बनाये॥

मित्र जीवन रंगीन बनाये और करे दुखों का सन्हार।
मित्रता वो गीत है, जो है भगवान का उपहार॥
मित्रों से प्राप्त सुख, भौतिक वस्तुओं से अतुल्य है।
सच्चे मित्र अति दुर्लभ हैं, मित्र बंधन अमूल्य है॥         

Wednesday 20 July 2016

प्रोत्साहन

बालपन को पीछे छोड़, आरम्भ हुआ नव-जीवन। 
अब तेरे समक्ष खड़ा है, संघर्ष-पूर्ण घना वन॥ 
परिश्रम की कुल्हाड़ी हमेशा धारण करके रखना। 
तब यह घोर भयानक वन, बंद हो जाएगा दिखना॥ 

तेरे पंख सशक्त हैं, उड़ना तेरा धर्म है। 
असीम आसमा को छूना, यही जीवन-कर्म है॥ 
ज्ञान-वायु के साथ बनाकर रखो अपना ताल-मेल। 
तभी बनेगा नभ को चूना, बाएं हाथ का खेल॥ 

सत्य-नीति की लाठी बनेगी तेरा परम सहारा। 
दुष्टात्मा को दूर भगाकर, बहेगी कीर्ति-धारा॥ 
ईश्वर से है मेरी, सदैव यही प्रार्थना। 
कि संपन्न हो जाए तेरी, प्रत्येक मनोकामना॥ 
 

Thursday 9 June 2016

पर्यावरण संरक्षण

पेड़ हमारे मित्र हैं,
उनकी हमेशा रक्षा करो। 
देते हमें साफ हवा, फल और फूल,
काटोगे उन्हें, तो हो जायेगी बड़ी भूल॥  

जल को व्यर्थ न करो,
है हमारा जीवन वो। 
बूंद-बूंद कीमती है,
जीवन का आधार है वो॥ 

ना मचाओ हवा मैं प्रदूषण,
साँस लेने में होती है मुश्किल। 
हटाओ धूआँ छोड़ती गाड़ियों को,
बंद करो धूआँ उगलती चिमनियों को॥ 

कूड़े को फेको हमेशा कूड़ेदान में,
गन्दगी से हो सकती है बीमारी। 
ऐसी गलतियाँ हो सकती हैं,
जन-जन के लिए भारी॥ 

ध्यान रखो सदा ही कि,
धरती हमारी माँ है।  
नहीं करना हमें उसे परेशान,
देती है हमें जीवन दान,
सदैव करो उसका सम्मान॥  

Tuesday 24 May 2016

ईश्वर



ईश्वर के अनेक-अनेक चित्र प्रचलित हैं,
इसलिए उनका स्पष्ट रूप अनिश्चित है।
यह ब्रह्मांड उनके द्वारा रचित है,
और उनके दिव्य तेज से संचालित है॥

वायु नेत्रों को नहीं दिखती,
किन्तु वह हर ओर है।
ईश्वर भी कण-कण में है,
बस अनुभव करने की देर है॥

इस सृष्टि पर उसके माया-जाल का आवरण है,
जो बनता, सभी अचिन्त्य घटनाओं का करण है।
ईश्वर इस जगत का आदि, मध्य और अंत है,
कहता यह बात, विश्व का हर पावन ग्रंथ है॥

वत्स बोला, "हे प्रभु! मेरे अस्तित्व का क्या उद्देश्य है?"
ईश्वर बोले, "यही ढूँढ़ना ही तो तेरा जीवन-लक्ष्य है।
उसी की तलाश करते-करते मेरे सभी पुत्र दुःखी हैं,
किन्तु जो मेरी शरण में आया, वह अब सुखी है"॥

"मैं सबका वह मित्र हूँ, जो कभी पक्षपात ना करे,
सुकृतों की रक्षा करे, और दुष्टों का प्रतिघात करे।
तुम कभी भी, स्वयं को अकेला मत समझना,
मैं सदैव सुनूँगा निर्मल हृदय से की गई प्रार्थना"॥

Tuesday 10 May 2016

इम्तहान के दिन

अप्रैल से शुरू कर दी हम सबने उल्टी गिनती,

भगवान से पास करा देने की कर रहे हैं विनती।
पूरे सेमेस्टर लगाए मस्ती की नदियों में गोते,
सिलेबस देखकर उड़ रहे हैं हम सब के तोते।      

उनकी कक्षा में ध्यान नहीं दिया उस समय,
मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है हमें।
पहले उनकी कक्षा में केवल अटेंडेंस के लिए बैठते,
अब हम उनसे अपने डाउट्स पूछने के लिए तड़पते।

एक्ज़ाम के समय हमारी हालत :(  

सुनसान लाइब्रेरी में अब रौनक दिखने लगी है,
अलमारी में दबी सारी किताबे खुलने लगी हैं।
आज-कल सबको नोट्स की प्यास लग रही है,
बोरिंग किताबें भी अब बहुत ख़ास लग रही है।

पहले फोन पर पचकाने चुटकुले भेजते थे,
अब सब एक-दूजे से मुश्किल प्रश्न पूछते हैं            
पढ़ाकुओं से पूरे साल कोई बात भी नहीं करता था,
इन दिनों हर बच्चा उनकी दोस्ती के लिए मरता है।

नंबर कम आए, तो माँ-बाप की डाँट सुनने को मिलेगी,
भगवान ना करे, शायद सोसायटी भी छोड़नी पड़ेगी।
हे ईश्वर! किसी तरह ये सेमेस्टर निकाल दीजीयेगा, 
माँ कसम! अगले साल एड़ी-चोटी का ज़ोर लगेगा!


Saturday 7 May 2016

माँ- मेरा संसार


माँ, तुम मेरी सर्वप्रथम सर्वप्रिय मित्र हो।
मेरे लिए, तुम ही भगवान का चित्र हो॥
यह स्वार्थी संसार सदा ठोकर के लिए तत्पर है।
मैं सुरक्षित हूँ, क्योंकि तेरा हाथ मेरे सर पर है॥

कम हो जाता है मेरी कठिनाइयों का भार।
क्योंकि मुझे सदैव मिला, तेरा निर्मल प्यार॥
तेरे आँचल से मिला ममता का वैभव।
तेरी स्नेह-धारा से जीवन मेरा सम्भव॥

हँसी में कह देता हूँ कि तेरी याद नहीं आएगी।
नादानी मेरी, कि तेरे बिना भी चीज़ें हो जाएँगी॥
सच तो यह है कि तेरे बिना सब कुछ अधूरा है।
कह सकता हूँ कि तेरे साथ, सब सुख पूरा है॥

चाहता हूँ देखना हर समय तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट।
ना होने दूँगा कभी, किसी भी परेशानी की आहट॥
तुम ख़ुश रहो, यह मेरे लिए ज़रूरी है।
तुम संतुष्ट हो, तो मेरी मेहनत पूरी है॥

Sunday 1 May 2016

संगीत

              (१)
आनंद मिले संगीत से,
शांति मिले संगीत से,
राहत मिले संगीत से,
और हर्ष मिले  संगीत से। 


(२)
 संगीत की कोई भाषा नहीं,
पर दुनिया की भाषा भी यही।
सुर-ताल अगर लग जाए सही,
जस्बातों में खो जाऊँ कहीं। 


                 (३) 
यह दुनिया सुख से निर्धन है,
दुःख-ग्रस्त यह आबादी है,                                  
संगीत से मेरा बंधन है,
क्योंकि संगीत नेरी आज़ादी है। 


(४) 
संगीत एक मिठाई है,
और संगीत एक दवाई भी है,
जो इसको चाव से खाये,
वो ज़िन्दगी की खुशियां पाये!!
  
       

   

Sunday 3 April 2016

क्रोध

क्रोध का स्फुलिंग मात्र मानवों को नष्ट करे।
दुर्प्रभाव क्रोध का, हमारा मार्ग-भ्रष्ट करे ॥  
अग्नि से उत्पन्न धूम्र अन्धकार प्रकट करे ।
इस परिस्थिति में कर्म सबके लिए संकट करे ॥

क्रुद्ध मनु हर समय शैतान के अधीन रहे ।
घृणा-द्वेष की नदी, उसके भीतर से बहे॥
उसके राज्य के समय में हमसे पाप होता है ।
त्रुटि के बोध के पश्चात  पश्चाताप होता है ॥
अतः क्रोध यदि भूल से भी मन में आगमन करे ।
तो धैर्य का दिव्यास्त्र दुष्ट दैत्य का दमन करे ॥

Friday 25 March 2016

वर्तमान जीवन

इस जीवन में मनःशान्ति का अभाव है। 
एवं तनाव और तृष्णा का प्रभाव है॥ 
यह विश्व अविरल दौड़ में व्यस्त है। 
यह समाज अभी अवसाद-ग्रस्त है॥ १ ॥ 

हम अपनी वास्तविकता से अपरिचित हैं।
खोखले लक्ष्यों पर आधारित, हमारी जीवन-रेखा रचित है॥ 
समय-सरिता का वेग हमें अंध-कूप में धकेल है। 
शंकाओं का राक्षस हमारे साथ खेल खेल रहा है॥ २ ॥ 

जगत की भूल-भूलैया में यह मानव भटक रहा है। 
जीवन के लघु-सुखों पर इसका दिल अटक रहा है॥ 
सत्य का द्वार अभी हमारे अप्रत्यक्ष है। 
तमस-रजस का दुर्ग, अभी हमारे समक्ष है॥ ३ ॥ 

आत्म-दर्शन संभव करेगा, घोर तिमिर में प्रकाश। 
फिर उचित परिश्रम लाएगा, नील असीम आकाश॥ 
ज्ञान एवं विवेक से हमें प्रचुर बल मिलेगा। 
एवं सभी दुविधाओं का उपयुक्त हल मिलेगा॥ ४ ॥