इस जीवन में मनःशान्ति का अभाव है।
एवं तनाव और तृष्णा का प्रभाव है॥
यह विश्व अविरल दौड़ में व्यस्त है।
यह समाज अभी अवसाद-ग्रस्त है॥ १ ॥
हम अपनी वास्तविकता से अपरिचित हैं।
खोखले लक्ष्यों पर आधारित, हमारी जीवन-रेखा रचित है॥
समय-सरिता का वेग हमें अंध-कूप में धकेल है।
शंकाओं का राक्षस हमारे साथ खेल खेल रहा है॥ २ ॥
जगत की भूल-भूलैया में यह मानव भटक रहा है।
जीवन के लघु-सुखों पर इसका दिल अटक रहा है॥
सत्य का द्वार अभी हमारे अप्रत्यक्ष है।
तमस-रजस का दुर्ग, अभी हमारे समक्ष है॥ ३ ॥
आत्म-दर्शन संभव करेगा, घोर तिमिर में प्रकाश।
फिर उचित परिश्रम लाएगा, नील असीम आकाश॥
ज्ञान एवं विवेक से हमें प्रचुर बल मिलेगा।
एवं सभी दुविधाओं का उपयुक्त हल मिलेगा॥ ४ ॥
एवं तनाव और तृष्णा का प्रभाव है॥
यह विश्व अविरल दौड़ में व्यस्त है।
यह समाज अभी अवसाद-ग्रस्त है॥ १ ॥
हम अपनी वास्तविकता से अपरिचित हैं।
खोखले लक्ष्यों पर आधारित, हमारी जीवन-रेखा रचित है॥
समय-सरिता का वेग हमें अंध-कूप में धकेल है।
शंकाओं का राक्षस हमारे साथ खेल खेल रहा है॥ २ ॥
जगत की भूल-भूलैया में यह मानव भटक रहा है।
जीवन के लघु-सुखों पर इसका दिल अटक रहा है॥
सत्य का द्वार अभी हमारे अप्रत्यक्ष है।
तमस-रजस का दुर्ग, अभी हमारे समक्ष है॥ ३ ॥
आत्म-दर्शन संभव करेगा, घोर तिमिर में प्रकाश।
फिर उचित परिश्रम लाएगा, नील असीम आकाश॥
ज्ञान एवं विवेक से हमें प्रचुर बल मिलेगा।
एवं सभी दुविधाओं का उपयुक्त हल मिलेगा॥ ४ ॥
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