बालपन में हम सभी आये, एपीजे के द्वार,
जिसने किया हमें इस जीवन के लिए तैयार।
हमें प्राप्त हुआ ज्ञान का उपहार,
ताकि संघर्ष की सरिता हो जाए पार ॥ १ ॥
जिसने किया हमें इस जीवन के लिए तैयार।
हमें प्राप्त हुआ ज्ञान का उपहार,
ताकि संघर्ष की सरिता हो जाए पार ॥ १ ॥
इस गीली मिट्टी को एक सुन्दर आकार दिया,
इस नन्हे पौधे को विद्या का आहार दिया,
हम सभी विद्यार्थियों को असीम प्यार दिया,
और आपने हम सभी का उद्धार किया ॥ २ ॥
हम सभी विद्यार्थियों को असीम प्यार दिया,
और आपने हम सभी का उद्धार किया ॥ २ ॥
और हुआ हमारी अनभिज्ञता का दहन।
आपके वचनामृत ने किया उचित राह का प्रदर्शन,
ताकि सफलता से परिपूर्ण हो, हमारा नव-जीवन ॥३॥
आपके वचनामृत ने किया उचित राह का प्रदर्शन,
ताकि सफलता से परिपूर्ण हो, हमारा नव-जीवन ॥३॥
हमें सदैव श्रेयस पथ को अपनाना सखाया,
और हृदय से मुश्किलों के भय को मिटाया।
निरंतर प्रोत्साहन ने चिंताओं को अर्थहीन बनाया,
आपके हितोपदेश ने, हमारी समझ को बढ़ाया ॥ ४ ॥
और हृदय से मुश्किलों के भय को मिटाया।
निरंतर प्रोत्साहन ने चिंताओं को अर्थहीन बनाया,
आपके हितोपदेश ने, हमारी समझ को बढ़ाया ॥ ४ ॥
शिक्षा ने तैयार किया एक सशक्त आधार,
उस पर सुकार्यों की खड़ी करेंगे गगनचुंबी मीनार।
प्राप्त नैतिक मुल्य, मीनार की रक्षा करेंगे,
और बुराइयों के भूकम्प, इसे नहीं गिरा सकेंगे ॥ ५ ॥
हमें है आपके आशीर्वाद की आवश्यकता,
कि सुनिश्चित हो जाए जीवन में सफलता।
वचन है हमारा कि हम कुछ बन कर दिखाएंगे,
और एपीजे स्कूल का नाम रोशन करेंगे ॥ ६ ॥
॥ आचार्य देवो भवः ॥
और एपीजे स्कूल का नाम रोशन करेंगे ॥ ६ ॥
॥ आचार्य देवो भवः ॥
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