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Friday 7 August 2015

वृक्ष-गीत



विटप रसीला फल प्रदाता, जीव-जीवन-धारा है।
वायु-वीर्य स्थापित करे, प्राणी का मुख्य सहारा है॥
तरू-भक्षी मूर्ख व्यक्ति, छीने वन के अभूषण।
कठोर-दण्ड निश्चित है, कि सर्वनाश करे प्रदूषण॥१॥

हरियाली की आवश्यकता है, अनिवर्य वृक्षारोपण है।
जगत-समस्या का समाधान, मात्र वृक्ष-रक्षण है॥
पृथ्वी-रक्षा पेड़ करे, पक्षियों का निवास है।
वृक्ष-रक्षा महाकार्य, अब नर जाति के पास है॥२॥

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