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Tuesday 24 May 2016

ईश्वर



ईश्वर के अनेक-अनेक चित्र प्रचलित हैं,
इसलिए उनका स्पष्ट रूप अनिश्चित है।
यह ब्रह्मांड उनके द्वारा रचित है,
और उनके दिव्य तेज से संचालित है॥

वायु नेत्रों को नहीं दिखती,
किन्तु वह हर ओर है।
ईश्वर भी कण-कण में है,
बस अनुभव करने की देर है॥

इस सृष्टि पर उसके माया-जाल का आवरण है,
जो बनता, सभी अचिन्त्य घटनाओं का करण है।
ईश्वर इस जगत का आदि, मध्य और अंत है,
कहता यह बात, विश्व का हर पावन ग्रंथ है॥

वत्स बोला, "हे प्रभु! मेरे अस्तित्व का क्या उद्देश्य है?"
ईश्वर बोले, "यही ढूँढ़ना ही तो तेरा जीवन-लक्ष्य है।
उसी की तलाश करते-करते मेरे सभी पुत्र दुःखी हैं,
किन्तु जो मेरी शरण में आया, वह अब सुखी है"॥

"मैं सबका वह मित्र हूँ, जो कभी पक्षपात ना करे,
सुकृतों की रक्षा करे, और दुष्टों का प्रतिघात करे।
तुम कभी भी, स्वयं को अकेला मत समझना,
मैं सदैव सुनूँगा निर्मल हृदय से की गई प्रार्थना"॥

Tuesday 10 May 2016

इम्तहान के दिन

अप्रैल से शुरू कर दी हम सबने उल्टी गिनती,

भगवान से पास करा देने की कर रहे हैं विनती।
पूरे सेमेस्टर लगाए मस्ती की नदियों में गोते,
सिलेबस देखकर उड़ रहे हैं हम सब के तोते।      

उनकी कक्षा में ध्यान नहीं दिया उस समय,
मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है हमें।
पहले उनकी कक्षा में केवल अटेंडेंस के लिए बैठते,
अब हम उनसे अपने डाउट्स पूछने के लिए तड़पते।

एक्ज़ाम के समय हमारी हालत :(  

सुनसान लाइब्रेरी में अब रौनक दिखने लगी है,
अलमारी में दबी सारी किताबे खुलने लगी हैं।
आज-कल सबको नोट्स की प्यास लग रही है,
बोरिंग किताबें भी अब बहुत ख़ास लग रही है।

पहले फोन पर पचकाने चुटकुले भेजते थे,
अब सब एक-दूजे से मुश्किल प्रश्न पूछते हैं            
पढ़ाकुओं से पूरे साल कोई बात भी नहीं करता था,
इन दिनों हर बच्चा उनकी दोस्ती के लिए मरता है।

नंबर कम आए, तो माँ-बाप की डाँट सुनने को मिलेगी,
भगवान ना करे, शायद सोसायटी भी छोड़नी पड़ेगी।
हे ईश्वर! किसी तरह ये सेमेस्टर निकाल दीजीयेगा, 
माँ कसम! अगले साल एड़ी-चोटी का ज़ोर लगेगा!


Saturday 7 May 2016

माँ- मेरा संसार


माँ, तुम मेरी सर्वप्रथम सर्वप्रिय मित्र हो।
मेरे लिए, तुम ही भगवान का चित्र हो॥
यह स्वार्थी संसार सदा ठोकर के लिए तत्पर है।
मैं सुरक्षित हूँ, क्योंकि तेरा हाथ मेरे सर पर है॥

कम हो जाता है मेरी कठिनाइयों का भार।
क्योंकि मुझे सदैव मिला, तेरा निर्मल प्यार॥
तेरे आँचल से मिला ममता का वैभव।
तेरी स्नेह-धारा से जीवन मेरा सम्भव॥

हँसी में कह देता हूँ कि तेरी याद नहीं आएगी।
नादानी मेरी, कि तेरे बिना भी चीज़ें हो जाएँगी॥
सच तो यह है कि तेरे बिना सब कुछ अधूरा है।
कह सकता हूँ कि तेरे साथ, सब सुख पूरा है॥

चाहता हूँ देखना हर समय तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट।
ना होने दूँगा कभी, किसी भी परेशानी की आहट॥
तुम ख़ुश रहो, यह मेरे लिए ज़रूरी है।
तुम संतुष्ट हो, तो मेरी मेहनत पूरी है॥

Sunday 1 May 2016

संगीत

              (१)
आनंद मिले संगीत से,
शांति मिले संगीत से,
राहत मिले संगीत से,
और हर्ष मिले  संगीत से। 


(२)
 संगीत की कोई भाषा नहीं,
पर दुनिया की भाषा भी यही।
सुर-ताल अगर लग जाए सही,
जस्बातों में खो जाऊँ कहीं। 


                 (३) 
यह दुनिया सुख से निर्धन है,
दुःख-ग्रस्त यह आबादी है,                                  
संगीत से मेरा बंधन है,
क्योंकि संगीत नेरी आज़ादी है। 


(४) 
संगीत एक मिठाई है,
और संगीत एक दवाई भी है,
जो इसको चाव से खाये,
वो ज़िन्दगी की खुशियां पाये!!