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Tuesday 10 May 2016

इम्तहान के दिन

अप्रैल से शुरू कर दी हम सबने उल्टी गिनती,

भगवान से पास करा देने की कर रहे हैं विनती।
पूरे सेमेस्टर लगाए मस्ती की नदियों में गोते,
सिलेबस देखकर उड़ रहे हैं हम सब के तोते।      

उनकी कक्षा में ध्यान नहीं दिया उस समय,
मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है हमें।
पहले उनकी कक्षा में केवल अटेंडेंस के लिए बैठते,
अब हम उनसे अपने डाउट्स पूछने के लिए तड़पते।

एक्ज़ाम के समय हमारी हालत :(  

सुनसान लाइब्रेरी में अब रौनक दिखने लगी है,
अलमारी में दबी सारी किताबे खुलने लगी हैं।
आज-कल सबको नोट्स की प्यास लग रही है,
बोरिंग किताबें भी अब बहुत ख़ास लग रही है।

पहले फोन पर पचकाने चुटकुले भेजते थे,
अब सब एक-दूजे से मुश्किल प्रश्न पूछते हैं            
पढ़ाकुओं से पूरे साल कोई बात भी नहीं करता था,
इन दिनों हर बच्चा उनकी दोस्ती के लिए मरता है।

नंबर कम आए, तो माँ-बाप की डाँट सुनने को मिलेगी,
भगवान ना करे, शायद सोसायटी भी छोड़नी पड़ेगी।
हे ईश्वर! किसी तरह ये सेमेस्टर निकाल दीजीयेगा, 
माँ कसम! अगले साल एड़ी-चोटी का ज़ोर लगेगा!


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