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Saturday 7 May 2016

माँ- मेरा संसार


माँ, तुम मेरी सर्वप्रथम सर्वप्रिय मित्र हो।
मेरे लिए, तुम ही भगवान का चित्र हो॥
यह स्वार्थी संसार सदा ठोकर के लिए तत्पर है।
मैं सुरक्षित हूँ, क्योंकि तेरा हाथ मेरे सर पर है॥

कम हो जाता है मेरी कठिनाइयों का भार।
क्योंकि मुझे सदैव मिला, तेरा निर्मल प्यार॥
तेरे आँचल से मिला ममता का वैभव।
तेरी स्नेह-धारा से जीवन मेरा सम्भव॥

हँसी में कह देता हूँ कि तेरी याद नहीं आएगी।
नादानी मेरी, कि तेरे बिना भी चीज़ें हो जाएँगी॥
सच तो यह है कि तेरे बिना सब कुछ अधूरा है।
कह सकता हूँ कि तेरे साथ, सब सुख पूरा है॥

चाहता हूँ देखना हर समय तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट।
ना होने दूँगा कभी, किसी भी परेशानी की आहट॥
तुम ख़ुश रहो, यह मेरे लिए ज़रूरी है।
तुम संतुष्ट हो, तो मेरी मेहनत पूरी है॥

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