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Saturday 6 August 2016

मित्रता




मित्र-बंधन अतीव सुन्दर, जीवन में हर्ष भरे।
सखा हमारे हित हेतु, अथक अविरल संघर्ष करे॥
मित्र संगति आदि है, अशोष्य-आनंद-धारा का।
विनोद-रस चर्चा में भरे, वो स्रोत हास्य-फुव्वारा का॥

शीघ्र हृदय भाव को समझे और विपदा में बने सहारा।
वो कन्धा मिलाकर साथ चले और सुखद लगे जग सारा॥
दीपक-प्रकाश दीया को मिले, हिमनदी नदी जल-युक्त बनाये।
वो आत्म-विकास की प्रेरणा दे और मन को चिंता-विमुक्त बनाये॥

मित्र जीवन रंगीन बनाये और करे दुखों का सन्हार।
मित्रता वो गीत है, जो है भगवान का उपहार॥
मित्रों से प्राप्त सुख, भौतिक वस्तुओं से अतुल्य है।
सच्चे मित्र अति दुर्लभ हैं, मित्र बंधन अमूल्य है॥         

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